ताजा खबर

अमूर और वालदिवोस्तोक को कब्जाना चाहता है चीन, रूस के साथ 1857 से चल रहा है झगड़ा

Photo Source :

Posted On:Wednesday, December 10, 2025

चीन, रूस के उन क्षेत्रों पर अपनी नज़र गड़ाए हुए है जिन्हें वह ऐतिहासिक रूप से अपना मानता है। चीन इन ज़मीनों पर अपने दावे को शांत और रणनीतिक तरीके से बरकरार रखने की कोशिश कर रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि चीन रूस के साथ अपने वर्तमान में मजबूत संबंधों को खराब नहीं करना चाहता, क्योंकि दोनों देश कई वैश्विक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र में एकसाथ वीटो का इस्तेमाल कर चुके हैं।

अमेरिकी आउटलेट न्यूजवीक की रिपोर्ट के अनुसार, चीन उन रूसी क्षेत्रों पर दावा कर रहा है, जिन्हें वर्षों पहले रूसी साम्राज्य ने किंग राजवंश से ले लिया था। चीन और रूस 4,209 किलोमीटर लंबी खुली सीमा साझा करते हैं।

रूस के किन इलाकों पर है चीन की नज़र?

चीन की नज़र मुख्य रूप से रूस के इन तीन इलाकों पर है:

  1. साइबेरियाई शहर व्लादिवोस्तोक (Vladivostok): यह एक प्रमुख प्रशांत बंदरगाह है।

  2. अमूर (Amur) क्षेत्र: यह सुदूर पूर्वी रूस का एक महत्वपूर्ण इलाका है।

  3. टुमैन नदी (Tumen River) का एक द्वीप: यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

इन इलाकों को 18वीं शताब्दी में चीन के किंग राजवंश ने रूसी साम्राज्य को सौंप दिया था। 2008 में आखिरी बार चीन और रूस के बीच इन क्षेत्रों को लेकर बातचीत हुई थी, जिसके बाद से मामले में यथास्थिति बनी हुई है।

टुमैन नदी द्वीप पर नियंत्रण की रणनीति

चीन की खास दिलचस्पी टुमैन नदी के द्वीप पर नियंत्रण स्थापित करने में है, जिसका मकसद अपने कट्टर दुश्मन जापान को सबक सिखाना है।

  • टुमैन द्वीप और उसके आसपास की नदियां जापान के पास ही महासागर में गिरती हैं।

  • चीन की कोशिश इस द्वीप पर कब्ज़ा करके जापान के पानी (समुद्र तक पहुंच) को बंद करने की है, जिससे उसे क्षेत्रीय लाभ मिल सके।

दावे को बरकरार रखने के लिए 'साइलेंट पैंतरे'

चीन इन ज़मीनों को वापस पाने की कवायद कई बार कर चुका है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है। इसलिए, वर्तमान में वह कूटनीतिक दबाव बनाने के बजाय अप्रत्यक्ष तरीके अपना रहा है।

  • मैप नीति में बदलाव नहीं: इन इलाकों पर अपने दावे को बरकरार रखने के लिए चीन ने अपने आधिकारिक मैप में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है।

  • पर्यटन मंत्रालय का फरमान: चीन के पर्यटन मंत्रालय ने एक फरमान जारी कर कहा है कि सभी जगहों को चीन के नज़रिए से ही दिखाया जाए। यह एक सांस्कृतिक और वैचारिक तरीका है जिसके ज़रिए चीन अपने क्षेत्रीय दावों को मज़बूत करता है।

60 साल में रूस को मिली 10 लाख हेक्टेयर जमीन

ऐतिहासिक रूप से, 1855 से 1915 तक के 60 सालों के दौरान रूस को चीन के हिस्से की करीब 10 लाख हेक्टेयर जमीनें मिलीं। इनमें से कुछ ज़मीनें रूस ने जबरन कब्ज़ा कीं, जबकि कुछ ज़मीनें उसे संधियों के तहत मिलीं।

  • 1858: रूस को सबसे पहले चीन का अमूल (Amul) इलाका मिला।

  • 1860: बीजिंग संधि के तहत रूस को चीन का व्लादिवोस्तोक शहर मिला, जो लगभग 4 लाख वर्ग किमी का है।

  • 1914: रूस ने चीन के तुवा (Tuva) क्षेत्र पर कब्ज़ा जमा लिया।


फिरोजाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. firozabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.