अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में जो '90 दिनों में 90 ट्रेड डील्स' की महत्वाकांक्षी घोषणा की थी, वह रणनीति कारगर साबित होती नहीं दिख रही है. उनकी इस पॉलिसी के तहत दुनिया के तमाम देशों पर टैरिफ का दबाव बनाने की स्ट्रैटजी को लगातार झटके लग रहे हैं. अब दक्षिण पूर्व एशिया के मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया के साथ हुआ व्यापार समझौता भी खटाई में पड़ता नजर आ रहा है.
इंडोनेशिया के वादों से पीछे हटने का आरोप
एक अमेरिकी अधिकारी ने मंगलवार को यह कहकर सनसनी फैला दी कि इंडोनेशिया ने जुलाई में हुए समझौते के दौरान किए गए कई वादों से पीछे हटना शुरू कर दिया है. अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इंडोनेशिया जुलाई में तय की गई बातों से मुकर रहा है. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इंडोनेशिया किन-किन विशिष्ट बिंदुओं पर पीछे हट रहा है.
दूसरी ओर, इंडोनेशियाई अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि बातचीत सामान्य रूप से चल रही है और कोई बड़ी समस्या सामने नहीं आई है.
इंडोनेशिया के आर्थिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता हार्यो लिमांसेतो ने कहा कि बातचीत की प्रक्रिया में उतार-चढ़ाव सामान्य हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के लिए लाभकारी समझौता जल्द होगा. इंडोनेशिया के एक सरकारी अधिकारी ने यह भी बताया कि अब समझौते की भाषा को लेकर सामंजस्य की जरूरत है.
क्या थी इंडोनेशिया-अमेरिका की ट्रेड डील?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 15 जुलाई को इस समझौते को "हमारे किसानों, मजदूरों और उद्योगों के लिए बड़ी जीत" बताया था. जुलाई में दोनों देश मुख्य रूप से इन शर्तों पर राजी हुए थे:
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इंडोनेशिया अमेरिका से आने वाले 99% से अधिक सामानों पर शुल्क हटाएगा.
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इंडोनेशिया सभी नॉन-टैरिफ बैरियर्स भी समाप्त करेगा.
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अमेरिका इंडोनेशियाई उत्पादों पर लगने वाले संभावित शुल्क को 32% से घटाकर 19% करेगा.
अमेरिका को चिंता: समझौता होगा कमजोर
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इंडोनेशिया कुछ शर्तों को स्वीकार नहीं कर रहा और उनमें बदलाव देखना चाहता है. अमेरिका का मानना है कि इंडोनेशिया द्वारा ऐसा करने से यह समझौता उनसे पहले मलेशिया और कंबोडिया के साथ हुए समझौतों से भी कमजोर हो जाएगा.
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका को लगता है कि इंडोनेशिया कृषि और उद्योग से जुड़े नॉन-टैरिफ बैरियर्स हटाने और डिजिटल व्यापार पर कार्रवाई करने के अपने वादों से पीछे हट रहा है.