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थाईलैंड–कंबोडिया सीमा फिर बनी युद्धक्षेत्र, F-16 हमले से तनाव चरम पर

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Posted On:Wednesday, December 10, 2025

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच वर्षों पुराना सीमा विवाद सोमवार (8 दिसंबर 2025) को फिर खूनखराबे में बदल गया। CNN की रिपोर्ट के अनुसार, थाई वायुसेना ने कंबोडिया के एक कैसीनो कॉम्प्लेक्स पर F-16 से एयरस्ट्राइक की। थाईलैंड का आरोप है कि यह कैसीनो अब केवल जुआ केंद्र नहीं, बल्कि कंबोडियाई सेना का गुप्त सैन्य ठिकाना बन चुका था, जहाँ ड्रोन, हैवी मशीनरी, मिसाइल पार्ट्स और गोला-बारूद की सप्लाई की तैयारी चल रही थी। इस हमले के बाद सीमावर्ती इलाकों में गोलाबारी तेज हो गई और दोनों पक्षों की सैन्य टुकड़ियाँ पूरी तरह युद्ध मोड में लौट आईं। सालों पुराने सीमा विवाद ने फिर एक बार दक्षिण-पूर्व एशिया को विस्फोटक मोड़ पर पहुंचा दिया है।

कैसीनो या मिलिट्री बेस? थाईलैंड का बड़ा आरोप

थाई सेना ने कहा कि जिस इमारत को निशाना बनाया गया वह कंबोडियाई सैनिकों के ऑपरेशन हब में बदल दी गई थी।

  • यहाँ ड्रोन लॉन्चिंग स्टेशन

  • सीमा टोही कैमरे

  • हाई-कैलिबर हथियारों की शिपमेंट

  • कमांड सेंटर

जैसी गतिविधियाँ चल रही थीं। थाई आर्मी के प्रवक्ता के मुताबिक, कंबोडिया सीमा पर छद्म सैनिकों की तैनाती बढ़ा रहा था, इसलिए एयरस्ट्राइक "पूर्व-रोकथाम सुरक्षा कार्रवाई" थी। कंबोडिया ने इसे थाईलैंड की सामरिक आक्रामकता और संप्रभुता पर हमला बताया है। कंबोडियाई विदेश मंत्रालय ने इसे “युद्ध की सीधी घोषणा” तक करार दिया।

सीमा पर फायरिंग, 5 लोगों की मौत

एयरस्ट्राइक के बाद दोनों ओर से लगातार गोलीबारी हुई, जिसमें—

  • 4 कंबोडियाई नागरिकों की मौत

  • 1 थाई सैनिक की मौत

  • 20 से अधिक घायलों की पुष्टि

फिलहाल दोनों देशों की फॉरवर्ड पोस्ट्स को हाई-अलर्ट पर रखा गया है और सीमावर्ती गाँव खाली कराए जा रहे हैं। मई 2025 में भी 5 दिन तक चला संघर्ष 30 से अधिक लोगों की जान ले चुका है।

ट्रंप की मध्यस्थता पर भी सवाल

अक्टूबर 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता में दोनों देशों ने युद्धविराम करार पर दस्तखत किए थे। लेकिन दो महीने में ही हालात फिर फट पड़े। ट्रंप ने बयान जारी करते हुए कहा:“मेरे कार्यकाल में मैंने 8 बड़े संघर्ष समाप्त कराए थे। दुख है कि थाईलैंड और कंबोडिया फिर युद्ध में लौट आए हैं। कल मैं दोनों देशों से बात करूंगा और इस युद्ध को रोकूंगा। हम ताकत से शांति बनाएंगे। कूटनीतिक मोर्चे के विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ती मिलिट्री गतिविधियां, खुफिया गठबंधन और सीमा के संसाधनों पर नियंत्रण इस आग में घी का काम कर रहे हैं।

दो महीने पुराना समझौता बिखर गया

  • अक्टूबर 2025: ट्रंप की मौजूदगी में युद्धविराम समझौता

  • दिसंबर 2025: दोबारा संघर्ष

कूटनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार यह साबित करता है कि संघर्ष सिर्फ सीमा रेखाओं का नहीं, बल्कि:

  • आर्थिक हितों

  • प्राकृतिक संसाधनों

  • सीमा व्यापार कर नियंत्रण

  • और अवैध हथियार नेटवर्क

जैसे गहरे मसलों का परिणाम है।

क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा

एशियाई सुरक्षा मंचों का मानना है कि यदि संघर्ष आगे बढ़ा तो:

  • थाईलैंड–कंबोडिया सीमा पूरी मिलिट्री ज़ोन में तब्दील हो सकती है

  • ASEAN के भीतर सुरक्षा विभाजन तेज होंगे

  • चीन और अमेरिका की कूटनीतिक रस्साकशी और खुलकर सामने आ सकती है

दक्षिण-पूर्व एशिया पहले से ही दक्षिण चीन सागर विवाद, म्यांमार संघर्ष और लाओस सीमा तनाव से जूझ रहा है। ऐसे में थाई–कंबोडिया युद्ध इस क्षेत्र को नए भू-राजनीतिक संकट में धकेल सकता है।


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