नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार, 4 दिसंबर से दो दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं। यह दौरा भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत के 25 साल पूरे होने के ऐतिहासिक मौके पर हो रहा है और इसे द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। साल 2000 में राष्ट्रपति बनने के बाद से पुतिन का यह 11वां भारत दौरा होगा, जिसमें से छठी बार वह दिसंबर के महीने में आ रहे हैं। यह यात्रा 23वें द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के रूप में होगी। इस दौरान दोनों देश रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और अंतरिक्ष जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बड़े समझौतों को अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रहे हैं। इस यात्रा से ठीक पहले रूस की ड्यूमा ने भारत के साथ सैन्य सहयोग वाले कई करारों को पहले ही मंजूरी दे दी है, जो इस शिखर सम्मेलन की महत्ता को और बढ़ा देती है।
राष्ट्रपति पुतिन का व्यस्त दो दिवसीय कार्यक्रम
राष्ट्रपति पुतिन का पूरा शेड्यूल काफी व्यस्त रहने वाला है:
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4 दिसंबर (शाम): पुतिन शाम करीब 6-7 बजे नई दिल्ली पहुंचेंगे। इसके तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर उनके सम्मान में निजी डिनर आयोजित करेंगे। यह अनौपचारिक मुलाकात शिखर सम्मेलन से पहले दोनों नेताओं को खुलकर बातचीत करने का मौका देगी।
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5 दिसंबर (सुबह): सुबह राष्ट्रपति भवन में पुतिन का औपचारिक स्वागत किया जाएगा और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। इसके बाद वह राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
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5 दिसंबर (दोपहर): राष्ट्रीय राजधानी स्थित हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की विस्तृत वार्ता और फिर संयुक्त बयान जारी किया जाएगा।
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5 दिसंबर (शाम): शाम को पुतिन भारत-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे। इसके बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उनके सम्मान में राजकीय भोज आयोजित किया जाएगा।
कुल मिलाकर, पुतिन की यह लगभग 30 घंटे की यात्रा दोनों देशों के भविष्य के रणनीतिक रोडमैप को नई दिशा देगी।
दिसंबर में दौरे की परंपरा और कारण
पुतिन का अक्सर दिसंबर में भारत आना एक स्थापित पैटर्न रहा है। वह अब तक राष्ट्रपति के नाते 9 बार भारत आ चुके हैं और इनमें से ज्यादातर दौरे दिसंबर में हुए हैं:
इस पैटर्न की मुख्य वजह भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन है, जो दोनों देशों के रिश्तों की समीक्षा के लिए हमेशा साल के अंत में आयोजित किया जाता है। पुतिन सिर्फ एक बार (मार्च 2010 में) प्रधानमंत्री के तौर पर आधिकारिक यात्रा पर आए थे। इस वार्षिक सम्मेलन के अलावा, रूसी सुरक्षा टीम के अनुसार, दिसंबर का मौसम भी एक कारण है। इस महीने में दिल्ली की हल्की ठंड, रूस जैसे अत्यधिक ठंडे देश (जहां तापमान अक्सर माइनस में चला जाता है) के लिए सुविधाजनक और यात्रा को आरामदायक बनाती है।
भारत के लिए क्यों खास है यह दौरा?
यूक्रेन संकट और पश्चिमी देशों के दबाव के बीच, यह दौरा रूस-भारत की अटूट दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी की मजबूती को प्रदर्शित करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
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रक्षा सौदे: इस दौरे में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की बाकी बची नई रेजीमेंट्स की आपूर्ति, Su-57 फाइटर जेट्स पर तकनीक हस्तांतरण (ToT), और संयुक्त उत्पादन जैसे बड़े रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
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व्यापार और ऊर्जा: दोनों देश ऊर्जा, व्यापार और तकनीकी सहयोग पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे ताकि द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाया जा सके और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भारत और रूस अपने संबंधों को वैश्विक दबावों से अलग रखते हुए मजबूत बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।