वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान के बाद, कि उनका मंत्रालय भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को किसी विशिष्ट कंपनी में निवेश करने के लिए कोई निर्देश नहीं देता है, इकोनॉमिस्ट मनीष बरियार ने भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी की निवेश रणनीति पर अपनी राय व्यक्त की है। बरियार ने जोर देकर कहा कि कुछ 'भारत विरोधी' तत्व LIC को बदनाम करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और लोगों को बीमा निगम की निवेश स्ट्रैटेजी के बारे में फालतू बयानबाजी से बचना चाहिए।
सीतारमण ने सोमवार को यह स्पष्ट कर दिया था कि उनका मंत्रालय LIC को उसके निवेश के फैसलों के बारे में कोई सलाह या निर्देश जारी नहीं करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी बीमा कंपनी ने अडाणी समूह में जो निवेश किया, वह निर्धारित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs) के अनुसार था।
SOPs के हिसाब से LIC करती है इन्वेस्ट
मनीष बरियार ने वित्त मंत्री के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि, "भारत के दुश्मन, अपने फायदे के लिए काम करने वाले लोग LIC को सच में बदनाम करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बहुत साफ कहा है कि SOPs हैं और LIC उसी के हिसाब से इन्वेस्ट करती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह निवेश केवल LIC ही नहीं, बल्कि दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस भी करते हैं।
LIC का निवेश $1\%$ से ज़्यादा नहीं
इकोनॉमिस्ट बरियार ने भारतीय वित्तीय प्रणाली की मजबूती पर जोर देते हुए कहा कि भारत एक डेमोक्रेटिक देश है और इसका फाइनेंशियल सिक्योरिटी सिस्टम बहुत गहरा है। उन्होंने कहा कि भारतीय वित्तीय सिस्टम में बहुत सारे रेड फ्लैग मौजूद हैं और SEBI से लेकर IRDA (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) तक बहुत मेहनत से काम करते हैं ताकि किसी भी तरह की अनहोनी न हो।
बरियार ने LIC की निवेश सीमा का उल्लेख करते हुए कहा:
"जब फाइनेंस मिनिस्टर जैसा कोई व्यक्ति कह रहा है, तो इसका बहुत वजन होता है। LIC किसी एक कंपनी में $1\%$ से ज़्यादा इन्वेस्ट नहीं करती है।"
यह सीमा LIC के जोखिम प्रबंधन (Risk Management) प्रोटोकॉल का हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि पॉलिसीधारकों का पैसा सुरक्षित रहे और किसी एक स्टॉक या सेक्टर में अत्यधिक केंद्रित न हो।
इस विवाद के पीछे 'जियोपॉलिटिक्स' हो सकती है
मनीष बरियार ने इस पूरे विवाद को जियोपॉलिटिक्स (Geopolitics) से जोड़ते हुए कहा कि यह समझना जरूरी है कि भारतीय, खासकर कांग्रेस के लोग, वॉशिंगटन पोस्ट जैसी किसी चीज़ के बारे में क्यों बात करेंगे, जिसकी खबरें कई बार फेक न्यूज साबित हो चुकी हैं।
उन्होंने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि लोग समझते हैं कि अपने फायदे के लिए काम करने वाले लोग हैं, एक जियोपॉलिटिक्स चल रही है, और इसलिए,
"मुझे लगता है कि हमें LIC इन्वेस्टमेंट के बारे में फालतू बयान न देकर बहुत सावधान रहना चाहिए।"
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब LIC के कुछ निवेशों पर राजनीतिक और मीडिया का ध्यान केंद्रित हो गया है, और इकोनॉमिस्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि देश के सबसे बड़े बीमाकर्ता के निवेश प्रोटोकॉल मजबूत और नियमों के तहत काम करते हैं।