जापान की नई प्रधानमंत्री साने तकाईची द्वारा ताइवान पर संभावित चीनी हमले से जुड़े बयान देने के बाद चीन और जापान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। इस तनाव का सीधा असर दोनों देशों के नागरिकों के बीच संवाद पर पड़ रहा है, जिसके चलते चीन ने अपने नागरिकों को जापान की यात्रा से बचने की सलाह दी है।
चीन की नागरिकों को चेतावनी
शुक्रवार देर रात, जापान में चीन के दूतावास ने अपने आधिकारिक वीचैट पोस्ट में चीनी नागरिकों को जापान की यात्रा न करने की चेतावनी जारी की। इस पोस्ट में कहा गया कि जापानी नेताओं द्वारा ताइवान को लेकर "खुले तौर पर उत्तेजक बयान" दिए जा रहे हैं, जिसने "लोगों के बीच संवाद और संपर्क का माहौल गंभीर रूप से प्रभावित किया है।"
पोस्ट में आगे कहा गया कि यह स्थिति "जापान में चीनी नागरिकों की व्यक्तिगत सुरक्षा और जीवन के लिए गंभीर जोखिम पैदा करती है।" चीन के विदेश मंत्रालय और जापान स्थित दूतावासों ने नागरिकों को आने वाले दिनों में जापान की यात्रा से बचने की सलाह दी है।
🇹🇼 ताईची का विवादास्पद बयान
जापानी प्रधानमंत्री साने तकाईची ने 7 नवंबर को संसद में कहा था कि अगर चीन, जिसके क्षेत्र का दावा वह करता है, स्वशासित ताइवान पर बल का इस्तेमाल करता है, तो टोक्यो सैन्य प्रतिक्रिया दे सकता है।
तकाईची ने तर्क दिया कि अगर ताइवान में किसी आपात स्थिति में युद्धपोत और बल का प्रयोग होता है, तो यह "जापान के अस्तित्व के लिए खतरे की स्थिति बन सकती है," और इस स्थिति में सामूहिक आत्मरक्षा के तहत जापान सैनिक भेज सकता है। जापान में 2015 में पारित सुरक्षा कानून देश को कुछ विशेष परिस्थितियों में सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार इस्तेमाल करने की इजाजत देता है, जिसमें देश के अस्तित्व को स्पष्ट खतरा होने की स्थिति भी शामिल है।
बढ़ता राजनयिक विवाद
तकाईची के बयान और एक अनुचित ऑनलाइन पोस्ट के कारण राजनयिक विवाद भी बढ़ गया। शुक्रवार को, बीजिंग ने जापान के राजदूत को तलब किया, जबकि टोक्यो ने भी चीन के राजदूत को तलब किया।
-
जापान का रुख: टोक्यो ने अब भी कहा है कि ताइवान के प्रति उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। तकाईची, जो पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की शिष्य और एक रूढ़िवादी नेता हैं, उन्होंने अब तक अपने बयान को वापस लेने का कोई इरादा नहीं जताया है और जोर दिया है कि यह टोक्यो की पुरानी नीति के अनुरूप है।
-
चीन का रुख: बीजिंग, जो ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है, तकाईची के बयान को अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखता है।
पारंपरिक रूप से, पूर्व जापानी प्रधानमंत्री ताइवान की सुरक्षा पर सीधे टिप्पणी करने से बचते आए हैं और इसके बजाय अमेरिका की तरह 'रणनीतिक अस्पष्टता' बनाए रखते थे। तकाईची के सीधे बयान ने इस नीति में एक बड़ा बदलाव ला दिया है, जिससे चीन के साथ जापान के संबंध और जटिल हो गए हैं।