Aaj ka Panchang 1 November 2025: सनातन धर्म में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, जिसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह तिथि इस बार 1 नवंबर 2025, शनिवार को पड़ रही है. इस पवित्र दिन को देव प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु अपनी चार माह की योगनिद्रा से जागृत होते हैं, जिसके साथ ही चातुर्मास का समापन हो जाता है. चार महीने से रुके हुए सभी मांगलिक कार्य—जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि—की शुरुआत इसी दिन से होती है, जिससे घरों में खुशियों का माहौल बन जाता है.
पंचांग- 01.11.2025
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ शरद
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ कार्तिक
पक्ष __ शुक्ल पक्ष
वार __ शनिवार
तिथि - दशमी 09:11:02
पश्चात - एकादशी
नक्षत्र शतभिष 18:19:37
योग ध्रुव 26:08:28
करण गर 09:11:02
करण वणिज 20:26:50
चन्द्र राशि - कुम्भ
सूर्य राशि - तुला
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩 देवप्रबोधिनी एकादशी
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 देवप्रबोधिनी एकादशी
01/11/25 (शनिवार)
👉🏻 त्रिस्पर्शा महाद्वादशी व्रत
02/11/25 (रविवार)
👉🏻 प्रदोष व्रतम्
03/11/25 (सोमवार)
👉🏻 वैकुण्ठ चतुर्दशी व्रतम्
04/11/25 (मंगलवार)
👉🏻 कार्तिक/ सत्य पूर्णिमा व्रतम्
05/11/25 (बुधवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉 🙏 || देवोत्थान एकादशी की मंगल बधाई || 🙏
चतुर्मास पश्चात भगवान श्रीनारायण हरि के निद्रा से जागरण का पावन दिवस ही देवोत्थान एकादशी के रूप में मनाया जाता है। भारतीय सनातन परंपरा में अनेकों पर्व - त्यौहार मनाए जाते हैं एवं सभी पर्व त्यौहार अपने आप में कुछ विशिष्ट सीखों को धारण किए हुए हैं। मनुष्य के भीतर दैवीय गुणों को एवं मानवीय चेतना में सुषुप्त देवत्व को जागृत करना ही देवोत्थान एकादशी व्रत का मुख्य उदेश्य है। यदि हृदय में सत्कर्म करने की भावना जग जाए, सत्य के मार्ग पर चलने का भाव जग जाए तो यही जीव की वास्तविक जागृति है और यही मानव जीवन का वास्तविक जागरण भी है। भगवान नारायण ही धर्म स्वरूप हैं। हमारे भीतर भी धर्म का जागरण होना चाहिए। भगवान का बैकुंठ में जागना तो महत्व रखता ही है साथ ही प्रभु से प्रार्थना करें कि वे हमारे हृदय रूपी बैकुंठ में भी जग कर हमारे इस मानव जीवन को श्रेष्ठता की ओर अग्रसर करें।
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)