बांग्लादेश में आगामी आम चुनावों को लेकर राजनीतिक अनिश्चितता और तनाव चरम पर है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में चल रही अंतरिम सरकार के सामने चुनाव कराने की एक बड़ी चुनौती है। यह संकट तब और गहरा गया जब चुनाव आयोग ने अवामी लीग का पंजीकरण निलंबित कर दिया, जिससे पार्टी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो गई।
शेख हसीना की चेतावनी और यूनुस की चिंता
पंजीकरण निलंबित होने के चुनाव आयोग के फैसले के बाद, भारत में रह रहीं शेख हसीना ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि लाखों पार्टी समर्थक चुनाव का बहिष्कार करेंगे। वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख (मुख्य सलाहकार) मोहम्मद यूनुस ने चुनावों को विफल करने की कोशिशों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। यूनुस को डर है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोके जाने के बाद, "देश और विदेश की ताकतें" नियोजित आम चुनावों को विफल करने का प्रयास कर सकती हैं।
योजनाबद्ध 'हमलों' और दुष्प्रचार की आशंका
अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने चुनाव तैयारियों पर हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यूनुस के बयान का हवाला दिया। यूनुस ने कहा कि चुनाव को खराब करने के लिए "देश के अंदर और बाहर से कई ताकतें" नियोजित तरीके से काम करेंगी। उन्होंने चेतावनी दी कि "कई शक्तिशाली ताकतें, इसे विफल करने का प्रयास करेंगी। अचानक हमले हो सकते हैं।"
मुख्य सलाहकार यूनुस ने यह भी स्वीकार किया कि चुनाव "चुनौतीपूर्ण" होगा क्योंकि देश के अंदर और बाहर से योजनाबद्ध तरीके से विभिन्न प्रकार के दुष्प्रचार किए जाएंगे। उन्होंने आगाह किया कि चुनावों को बाधित करने के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा निर्मित चित्र और वीडियो भी ऑनलाइन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाएंगे। यूनुस ने ऐसी भ्रामक सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने पर बल दिया, और कहा कि अंतरिम सरकार को इन "बाधाओं पर विजय प्राप्त करनी होगी।"
अवामी लीग के नेताओं की वर्तमान स्थिति
शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से, पूर्व प्रधानमंत्री भारत में रह रही हैं। उनकी पार्टी, अवामी लीग, और सरकार के अधिकांश वरिष्ठ नेता या तो जेल में हैं या देश-विदेश में फरार हैं। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अपनी सबसे बड़ी राजनीतिक लड़ाई ऐसे समय में लड़ रहा है जब वह संगठनात्मक और नेतृत्व संकट से जूझ रहा है। विदेश में रहने और अनुपस्थिति में चल रहे कई मुकदमों के बावजूद, शेख हसीना ने अपने साक्षात्कारों में यह स्पष्ट किया है कि वह बांग्लादेश में "लोकतंत्र बहाल करने" के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, चुनाव आयोग के हालिया फैसले ने उनके और उनकी पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
लोकतंत्र की बहाली पर वैश्विक नजर
बांग्लादेश के इस राजनीतिक उथल-पुथल पर वैश्विक समुदाय की पैनी नजर है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को न केवल एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है, बल्कि घरेलू और विदेशी ताकतों द्वारा चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने के प्रयासों को भी विफल करना है। यूनुस की आशंकाएं देश के भीतर की गहरी राजनीतिक दरार और आगामी चुनाव की नाजुक प्रकृति को दर्शाती हैं, जहां दुष्प्रचार और बाहरी हस्तक्षेप एक बड़ी चुनौती बन सकते हैं। बांग्लादेश का लोकतंत्र इस समय एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है।