मध्य पूर्व (Middle East) एक बार फिर विनाशकारी हथियारों की दौड़ और संभावित सैन्य टकराव के मुहाने पर खड़ा है। हालिया खुफिया रिपोर्टों और रणनीतिक हलचलों ने दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। दावा किया जा रहा है कि ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की एयरोस्पेस फोर्स अपनी लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए जैविक (Biological) और रासायनिक (Chemical) हथियारों का जखीरा तैयार कर रही है।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फ्लोरिडा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर रहे हैं, जहाँ ईरान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम पर निर्णायक कार्रवाई के विकल्पों पर चर्चा होनी है।
ईरान की नई युद्ध रणनीति: 'अस्तित्व' का सवाल?
सूत्रों के अनुसार, ईरान ने पिछले कुछ महीनों में अपने हथियार विकास कार्यक्रम को तेज कर दिया है। इसके पीछे मुख्य कारण अमेरिका और इजराइल के साथ संभावित सीधा सैन्य टकराव है।
-
अपग्रेडेड मिसाइल सिस्टम: ईरान न केवल मिसाइलों को रासायनिक पेलोड ले जाने के लिए तैयार कर रहा है, बल्कि अपने कमांड और कंट्रोल सिस्टम को भी अपग्रेड कर रहा है।
-
डिटेरेंस (Deterrence): ईरानी नेतृत्व इन हथियारों को 'अंतिम विकल्प' के रूप में देखता है। उनका मानना है कि यदि दुश्मन को पता होगा कि युद्ध की कीमत जैविक या रासायनिक हमले के रूप में चुकानी पड़ सकती है, तो वह सीधा हमला करने से बचेगा।
इतिहास का विरोधाभास: पीड़ित से हमलावर तक?
ईरान का यह कदम उसके सार्वजनिक स्टैंड के बिल्कुल विपरीत है। 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान ईरान खुद सद्दाम हुसैन के रासायनिक हमलों (जैसे सरदश्त पर मस्टर्ड गैस हमला) का शिकार रहा है।
-
ईरानी अधिकारी अक्सर इन हमलों का जिक्र कर खुद को ऐसे हथियारों का विरोधी बताते रहे हैं।
-
हालांकि, सैन्य विशेषज्ञों का तर्क है कि बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों और 'अस्तित्व के खतरे' (Existential Threat) की दलील देकर ईरान अपनी नीतियों में यह खतरनाक बदलाव कर रहा है।
[Image showing a high-altitude ballistic missile launch with a technical overlay of its payload capacity]
नेतन्याहू और ट्रंप: मार-ए-लागो में रणनीतिक बिसात
फ्लोरिडा में ट्रंप और नेतन्याहू की मुलाकात इस संकट का केंद्र बिंदु है। इजराइल को संदेह है कि जून 2024 में हुई सीमित जंग के बाद ईरान ने न केवल अपने एयर डिफेंस सिस्टम (S-300/S-400) को फिर से सक्रिय कर लिया है, बल्कि वह अब 'लाल रेखा' पार करने के करीब है। नेतन्याहू अमेरिका से ईरान के मिसाइल ठिकानों पर कड़े प्रतिबंधों और संभावित सैन्य 'सर्जिकल स्ट्राइक' के लिए समर्थन मांग सकते हैं।
पश्चिमी देशों की निगरानी और वैश्विक प्रभाव
पिछले कुछ हफ्तों में पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने IRGC के भीतर असामान्य लॉजिस्टिक मूवमेंट और सैन्य संकेतों को ट्रैक किया है।
-
नए प्रतिबंध: यदि इन हथियारों के विकास की पुष्टि होती है, तो ईरान पर वैश्विक स्तर पर अब तक के सबसे कड़े आर्थिक और कूटनीतिक प्रतिबंध लग सकते हैं।
-
क्षेत्रीय संतुलन: यह विकास सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे पड़ोसी देशों को भी अपनी सुरक्षा नीतियों पर पुनर्विचार करने और संभवतः परमाणु या उन्नत रक्षा प्रणालियों की ओर बढ़ने के लिए मजबूर कर सकता है।
निष्कर्ष
ईरान ने आधिकारिक तौर पर हमेशा ऐसे हथियारों के निर्माण से इनकार किया है, लेकिन उसकी बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बनी हुई है। यदि जैविक और रासायनिक हथियारों का दावा सच साबित होता है, तो मध्य पूर्व में शांति की उम्मीदें पूरी तरह समाप्त हो सकती हैं और यह क्षेत्र एक ऐसी जंग की ओर बढ़ सकता है जिसके परिणाम पूरी दुनिया के लिए भयावह होंगे।