ताजा खबर

जल रहा है बांग्लादेश, निशाने पर हिंदू और हसीना के समर्थक; कट्टरपंथियों ने कहां-कहां मचाया तांडव?

Photo Source :

Posted On:Saturday, December 20, 2025

बांग्लादेश इस समय अपने इतिहास के सबसे अस्थिर और हिंसक दौर से गुजर रहा है। छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने पूरे देश में बारूद की तरह काम किया है, जिससे न केवल राजनीतिक हिंसा भड़की है, बल्कि धार्मिक अल्पसंख्यकों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर भी गहरा संकट खड़ा हो गया है।

प्रस्तुत लेख में हम इस घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं और इसके व्यापक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।

शरीफ उस्मान हादी की हत्या और हिंसा का आगाज़

32 वर्षीय छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी, जो पिछले साल शेख हसीना सरकार के पतन के बाद एक प्रभावशाली चेहरे के रूप में उभरे थे, उनकी हत्या ने देश को हिला कर रख दिया है। 12 दिसंबर को ढाका के बिजोयनगर में उन पर नकाबपोश हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। गंभीर हालत में उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहाँ 18-19 दिसंबर की दरमियानी रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

हादी की मौत की खबर फैलते ही उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए और देखते ही देखते बांग्लादेश के कई शहर हिंसा की चपेट में आ गए।

'ग्रेटर बांग्लादेश' विवाद और भारत विरोध

हादी की हत्या के पीछे के कारणों में उनके अंतिम सोशल मीडिया पोस्ट को एक बड़ी वजह माना जा रहा है। हमले से कुछ देर पहले उन्होंने फेसबुक पर ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का एक विवादित नक्शा पोस्ट किया था, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया था।

इस भड़काऊ पोस्ट और हादी के भारत विरोधी रुख के कारण उनके समर्थकों ने भारत पर हमले की साजिश का आरोप लगाना शुरू कर दिया। इसी उन्माद में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय दूतावास (High Commission) के बाहर पथराव किया और भारत विरोधी नारे लगाए। पूर्व उच्चायुक्त पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने भी इन घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।

अल्पसंख्यकों पर प्रहार: दीपू चंद्र दास की लिंचिंग

हिंसा की सबसे दुखद तस्वीर मैमनसिंह से सामने आई, जहाँ उग्र भीड़ ने एक निर्दोष हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी। अवामी लीग के दफ्तरों में आग लगाने के साथ-साथ भीड़ ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया, जिससे एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश में मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं।

यद्यपि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस लिंचिंग की कड़ी निंदा की है और दोषियों को सजा देने का वादा किया है, लेकिन जमीन पर स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।

लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला

भीड़ का गुस्सा केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों तक सीमित नहीं रहा। ढाका में प्रदर्शनकारियों ने देश के प्रतिष्ठित अखबारों— 'प्रोथोम आलो' और 'द डेली स्टार' के दफ्तरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। यह स्वतंत्र प्रेस की आवाज को दबाने की एक खतरनाक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही, संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के ऐतिहासिक आवास में भी तोड़फोड़ की गई, जो बांग्लादेश की साझा विरासत पर प्रहार है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौती

संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हादी की हत्या की निष्पक्ष जांच की मांग की है और सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है। यूनुस प्रशासन ने 12 फरवरी 2026 को संसदीय चुनाव कराने की घोषणा की है, लेकिन मौजूदा हिंसा और ध्रुवीकरण को देखते हुए निष्पक्ष चुनाव कराना एक हिमालयी चुनौती नजर आ रही है।

निष्कर्ष: बांग्लादेश में उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की यह हिंसा केवल एक नेता की हत्या का प्रतिशोध नहीं है, बल्कि यह देश के भीतर गहरे तक पैठे कट्टरपंथ और राजनीतिक अस्थिरता का परिणाम है। यदि अंतरिम सरकार ने कानून का शासन स्थापित करने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए, तो आगामी चुनाव रक्तपात की भेंट चढ़ सकते हैं।


फिरोजाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. firozabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.