रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा पूरी होने के बाद, अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। खबर आ रही है कि तुर्की जल्द ही रूस से खरीदे गए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को हटाने की तैयारी में है। यदि यह दावा सही साबित होता है, तो तुर्की और अमेरिका के रिश्तों में लंबे समय से चली आ रही खटास खत्म हो सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और तुर्की में अमेरिकी राजदूत टॉम बैरक ने यह बड़ा दावा किया है। S-400 वही मिसाइल सिस्टम है जिसके कारण तुर्की को अमेरिका के अत्याधुनिक F-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से बाहर कर दिया गया था और उस पर प्रतिबंध भी लगाए गए थे। अब अमेरिकी पक्ष का कहना है कि अगर तुर्की S-400 का इस्तेमाल पूरी तरह छोड़ देता है, तो आने वाले महीनों में F-35 खरीद का रास्ता फिर से खुल सकता है।
अमेरिकी दूत का बड़ा दावा: "S-400 छोड़ रहा है तुर्की"
टॉम बैरक ने अबू धाबी में एक सम्मेलन के दौरान इस मामले पर स्पष्टता दी। जब उनसे पूछा गया कि क्या तुर्की S-400 को हटा रहा है, तो उन्होंने एक शब्द में जवाब दिया, "हाँ।"
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डील का इतिहास: $\text{2017}$ में तुर्की ने रूस से करीब $2.5 अरब डॉलर की डील करके S-400 सिस्टम खरीदा था, जिसकी डिलीवरी $\text{2019}$ में हुई थी।
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अमेरिकी आपत्ति: अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया था कि F-35 और रूसी S-400 मिसाइल सिस्टम को एक साथ ऑपरेट नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे F-35 की गोपनीय तकनीक को खतरा होगा। इस विवाद के चलते ही तुर्की को F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया गया, जिससे दोनों नाटो सहयोगियों के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए थे।
S-400 की मौज़ूदगी ही है बाधा
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बैरक ने दावा किया कि तुर्की वर्तमान में S-400 सिस्टम का इस्तेमाल नहीं कर रहा है। हालाँकि, S-400 की भौतिक उपस्थिति (Physical Presence) ही अमेरिका के लिए बड़ी बाधा बनी हुई है।
बैरक ने कहा कि तुर्की के नेतृत्व ने अब यह बात समझ ली है कि अगर वह पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका के साथ अपने रणनीतिक रिश्ते सुधारना चाहता है, तो उसे S-400 से छुटकारा पाना ही होगा।
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F-35 में वापसी की इच्छा: तुर्की ने पिछले कुछ महीनों में बार-बार संकेत दिए हैं कि वह F-35 प्रोग्राम में वापसी चाहता है। तुर्की ने पहले ही जेट्स के लिए $\text{$1.4 अरब डॉलर}$ एडवांस में दे दिए थे, जिसका रिफंड अमेरिका ने नहीं किया है।
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कूटनीतिक संतुलन: तुर्की वर्तमान में रूस से गैस और तेल खरीद जारी रखे हुए है, जिससे उसे दोनों शक्तियों के बीच संतुलन बनाकर चलना पड़ रहा है। लेकिन नाटो में अपनी भूमिका मजबूत करने और पश्चिमी सुरक्षा ग्रिड में बने रहने के लिए उसे अमेरिका की जरूरत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तुर्की S-400 हटाता है, तो यह सीधे रूस को भी एक बड़ा राजनीतिक संदेश होगा। बैरक का ताजा बयान दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नए और सकारात्मक माहौल का संकेत देता है।