मुंबई, 16 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हमलावरों ने मौके पर जश्न मनाया और हर्ष में हवा में गोलियां चलाईं। यह घटना 22 अप्रैल को बायसरन घाटी में हुई थी, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई थी और 16 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। आतंकियों ने इस हमले को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया और लोगों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया। इस हमले में तीन आतंकियों के शामिल होने की पुष्टि हुई है। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि घटना के तुरंत बाद जब वह बायसरन से लौट रहा था, तब आतंकियों ने उसे रोककर चार राउंड फायरिंग की। यही व्यक्ति अब जांच एजेंसी का मुख्य गवाह बन गया है।
जांच में यह भी सामने आया है कि हमले से पहले दो स्थानीय लोग, परवेज अहमद जोठार और बशीर अहमद आतंकियों के लिए बायसरन में सामान की निगरानी कर रहे थे। इन दोनों को NIA ने बीते महीने हिरासत में लिया और पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारियां सामने आईं। परवेज ने बताया कि घटना से एक दिन पहले तीनों आतंकी उसके घर आए थे। उन्होंने उसके परिवार के साथ भोजन किया, इलाके की जानकारी ली और कुछ पैसे भी दिए। इसके बाद अगली दोपहर बायसरन घाटी पहुंचने को कहा गया था। जांच में पता चला कि इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान था, जो पहले भी कश्मीर में कई बड़े हमलों में शामिल रह चुका है। उस पर सोनमर्ग के जेड मोड़ सुरंग पर सात मजदूरों की हत्या का भी आरोप है। हमले के बाद अनंतनाग पुलिस ने तीन आतंकियों के स्केच जारी किए, जिनमें आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा और अली उर्फ तल्हा भाई के नाम शामिल हैं। मूसा और अली पाकिस्तान से हैं और दोनों पर 20-20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है। मूसा पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप का पूर्व कमांडो भी रह चुका है।
हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 6-7 मई की रात पाकिस्तान और पीओके में एयर स्ट्राइक की, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। इस कार्रवाई में भारत ने 24 मिसाइलें दागीं और 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और 4 सहयोगी भी मारे गए।