बिहार में नई सरकार के गठन को लेकर सियासी कृपान चल पड़ी है। 2025 के विधानसभा चुनावों में मिली शानदार जीत के बाद राज्य में भाजपा-गठबंधन (एनडीए) ने सत्ता पर फिर से दावा किया है और इसके लिए आवश्यक औपचारिकताएँ पूरी करना शुरू कर दिया है।
सबसे पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की और उन्हें अपने इस्तीफे की जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने 19 नवंबर को औपचारिक रूप से इस्तीफा देने की घोषणा की है। इस्तीफे से पहले नीतीश कुमार ने अपनी वर्तमान कैबिनेट की अंतिम बैठक बुलाई, जिसमें 17वीं विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव पारित करने का निर्णय लिया जाएगा।
यह कदम नई सरकार के गठन के लिए अनिवार्य और रणनीतिक है, क्योंकि विधानसभा भंग होने के बाद ही 18वीं विधानसभा का गठन हो सकेगा। इस्तीफे के बाद, नीतीश कुमार राजभवन जाकर राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंपेंगे, और NDA के विधायक दल की बैठक में फिर से उन्हें पार्टी का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद का दावेदारी पेश करने का रास्ता साफ करेंगे।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, इस नई सरकार में नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करेंगे। यह उनकी दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने का सिलसिला होगा, जो उनकी मजबूत पकड़ और गठबंधन के भीतर उनकी अहमियत का संकेत देता है। चर्चा यह भी है कि नई कैबिनेट में चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे NDA घटक दलों के विधायक शामिल होंगे, और एक मंत्री उन छह विधायकों की “फॉर्मूला” के आधार पर चुनकर आएगा।
एक बड़ी और प्रतीकात्मक घटना के तौर पर, शपथ ग्रहण समारोह पटना के गांधी मैदान में आयोजित किया जाएगा। इसके लिए सुरक्षा और व्यवस्था की तैयारियाँ जोरों पर हैं, और ऐसा बताया जा रहा है कि यह समारोह 20 नवंबर को होगा। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी की संभावना है, साथ ही अन्य कई NDA-सत्तारूढ़ राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय नेता भी इससे जुड़ सकते हैं।
गांधी मैदान में इस आयोजन को लेकर पूरे मैदान को चार दिनों के लिए आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है — 17 से 20 नवंबर तक प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। यह धारा दिखाती है कि यह शपथ ग्रहण सिर्फ एक राज्यीय कार्यक्रम नहीं, बल्कि NDA की शक्ति और एकता का प्रदर्शन भी माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार की वापसी और इस भव्य समारोह से NDA यह संदेश देना चाहता है कि बिहार में उनकी पकड़ मजबूत है और गठबंधन की स्थिरता बनी हुई है। इस नए कार्यकाल में गठबंधन के छोटे दलों को भी महत्वपूर्ण स्थान देने की योजना है, जिससे सामाजिक और राजनीतिक समीकरण संतुलित रहने की संभावना बढ़ जाती है।
संक्षेप में, बिहार में नई सरकार का गठन तेज रफ्तार से हो रहा है: नीतीश कुमार इस्तीफा देने की तैयारी में हैं, 17वीं विधानसभा भंग की जाएगी, और 20 नवंबर को गांधी मैदान में एक बड़े शक्ति प्रदर्शन के साथ नई सरकार की शपथ ली जाएगी — जिसमें मोदी और अन्य शीर्ष NDA नेताओं की मौजूदगी की उम्मीद है। यह पूरा दृश्य राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण बदलाव और गठबंधन के मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है।