भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडाणी के नेतृत्व वाला अडाणी ग्रुप अब भारत के एनर्जी सेक्टर में एक गेम-चेंजर की भूमिका निभाने के लिए तैयार है। ग्रुप ने 2032 तक पावर और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में 60 बिलियन डॉलर (करीब 5 लाख करोड़ रुपये) निवेश करने की बड़ी योजना की घोषणा की है। इस निवेश का उद्देश्य न सिर्फ देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है, बल्कि भारत को ग्रीन एनर्जी के वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाना भी है।
रिन्यूएबल एनर्जी में बड़ी छलांग
अडाणी ग्रुप की रिन्यूएबल एनर्जी शाखा Adani Green Energy Limited (AGEL), 2030 तक अपनी उत्पादन क्षमता को मौजूदा 14.2 गीगावाट से बढ़ाकर 50 गीगावाट करने के लिए 21 बिलियन डॉलर का निवेश करेगी। इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में सोलर और विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स में भारी विस्तार होगा।
भारत इस समय वैश्विक रिन्यूएबल एनर्जी रैंकिंग में चौथे स्थान पर है, और उसका लक्ष्य 2032 तक 571 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी हासिल करना है। अडाणी ग्रुप इस लक्ष्य को साकार करने में अहम भूमिका निभाने वाला है।
ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क होगा मजबूत
अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (AESL) के माध्यम से ग्रुप 17 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा ताकि भारत का ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और भी मजबूत हो सके। मौजूदा 19,200 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों को 2030 तक बढ़ाकर 30,000 किलोमीटर करने का लक्ष्य रखा गया है।
भारत का ट्रांसमिशन नेटवर्क 2032 तक 6,48,000 किलोमीटर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह निवेश देश की बढ़ती बिजली मांग को सुचारु रूप से पूरा करने में मदद करेगा।
थर्मल पावर में भी मजबूत पकड़
जहां एक ओर ग्रुप रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस कर रहा है, वहीं थर्मल पावर को भी नजरअंदाज नहीं किया गया है। अडाणी पावर 2032 तक अपनी थर्मल और सोलर कैपेसिटी को 17.6 गीगावाट से बढ़ाकर 41.9 गीगावाट करने के लिए 22 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा।
कंपनी का मानना है कि कोयला आधारित ऊर्जा अभी भी भारत की बेसलोड आवश्यकता को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रही है, खासकर तब जब रिन्यूएबल एनर्जी स्रोत अनिश्चित हो सकते हैं। भारत की थर्मल कैपेसिटी 2025 में 247 गीगावाट से बढ़कर 2032 तक 309 गीगावाट होने की संभावना है।
भारत बन रहा है एनर्जी मार्केट का पावरहाउस
अडाणी ग्रुप का कहना है कि भारत आने वाले वर्षों में दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ एनर्जी मार्केट बनने जा रहा है। 2025 में 475 गीगावाट की कुल बिजली क्षमता 2032 तक 1,000 गीगावाट तक पहुंच सकती है। इस क्षेत्र में 500 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश अवसर हैं, जिनमें से 300 बिलियन डॉलर रिन्यूएबल एनर्जी और 110 बिलियन डॉलर ट्रांसमिशन नेटवर्क से संबंधित हैं।
क्यों है यह निवेश खास?
अडाणी ग्रुप का यह मेगा एनर्जी प्लान न सिर्फ भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि यह लाखों रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। साथ ही, ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत को ग्लोबल लीडर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सोलर, विंड और थर्मल पावर के अलावा स्मार्ट मीटरिंग, कूलिंग सॉल्यूशंस और एनर्जी स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में अडाणी की बढ़ती उपस्थिति इसे एक ऑल-राउंड एनर्जी प्लेयर बनाती है।
निष्कर्ष:
2032 तक का यह निवेश भारत को न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा, बल्कि ग्रीन और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्थिति को भी मजबूत करेगा।