आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने संचार और जानकारी साझा करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। लेकिन इसके साथ ही, इन तकनीकों के दुरुपयोग से फेक न्यूज और फेक वीडियो भी तेजी से वायरल होने लगे हैं। इसी कड़ी में एक नया मामला सामने आया है, जिसमें भगवान विष्णु की मूर्ति को लेकर भ्रामक दावे किए जा रहे हैं।
क्या है वायरल दावा?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें समुद्र की गहराई में एक विशाल मूर्ति नजर आती है। इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह मूर्ति हिंदू धर्म के भगवान विष्णु की है, जो शेषनाग की शैय्या पर लेटे हुए हैं। दावा यह भी है कि यह मूर्ति इंडोनेशिया के बाली द्वीप के पास समुद्र में पाई गई है और यह 5000 साल से भी ज्यादा पुरानी है। कुछ यूजर्स इसे ब्रिटेन, भारत और इंडोनेशिया के संयुक्त खोजी दल की खोज भी बता रहे हैं।
सोशल मीडिया पर कैसे फैला भ्रम?
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एक फेसबुक यूजर ने 28 मई 2025 को यह वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “बाली के पास समुद्र की गहराई में भगवान विष्णु की मूर्ति मिली है। यह हमारे गौरव का प्रतीक है।”
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एक अन्य यूजर ने 25 मई 2025 को इसी वीडियो को X (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर करते हुए लिखा, “गर्व से कहो हम हिंदू हैं।”
इन पोस्ट्स को हजारों लोग शेयर कर चुके हैं और लाखों बार देखा जा चुका है। लेकिन क्या यह दावा सच है? चलिए करते हैं फैक्ट चेक।
फैक्ट चेक: क्या है सच्चाई?
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने वायरल वीडियो के कुछ प्रमुख की-फ्रेम्स को अलग किया और उनका रिवर्स इमेज सर्च किया। इस दौरान पता चला कि यह वीडियो ‘jayprints’ नामक इंस्टाग्राम यूजर के अकाउंट पर पहले से मौजूद है। यह वीडियो 11 अप्रैल 2025 को पोस्ट किया गया था।
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'jayprints' ने अपने वीडियो में खुद बताया है कि ये दृश्य AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से बनाए गए हैं और इनका उद्देश्य सिर्फ कलात्मक व सांस्कृतिक कथा-वाचन है।
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उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल में भी उन्हें एक AI Artist के रूप में पेश किया गया है, जहां और भी ऐसे वीडियो मौजूद हैं।
तकनीकी जांच: AI टूल की रिपोर्ट क्या कहती है?
इसके बाद हमने वायरल वीडियो की प्रमाणिकता को और परखने के लिए ‘Hive Moderation’ नामक एक AI डिटेक्शन टूल का उपयोग किया। इस टूल ने रिपोर्ट दी कि:
निष्कर्ष: क्या निकला फैक्ट चेक में?
👉 फैक्ट चेक में यह स्पष्ट हुआ कि वायरल वीडियो वास्तविक नहीं, बल्कि AI तकनीक से तैयार किया गया एक आर्टवर्क है। इसे जानबूझकर भ्रामक दावों के साथ फैलाया जा रहा है, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाओं को भ्रमित किया जा सके।
क्या करना चाहिए?
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किसी भी सनसनीखेज खबर को शेयर करने से पहले उसकी जांच करें।
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अज्ञात स्रोतों से मिली वीडियो या तस्वीर पर आँख मूंदकर भरोसा न करें।
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फैक्ट चेक वेबसाइट्स या AI डिटेक्शन टूल्स की मदद लें।
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धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर विशेष सावधानी बरतें।
अंतिम सलाह:
आज की दुनिया में AI और सोशल मीडिया का संयोजन जितना ताकतवर है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है अगर इसका गलत उपयोग किया जाए। ऐसे में जरूरी है कि हम सतर्क रहें, तथ्यों को जांचें और बिना पुष्टि के किसी भी फेक न्यूज का हिस्सा न बनें। याद रखें, सच और झूठ के बीच फर्क करना ही डिजिटल साक्षरता की असली पहचान है।