ब्राजील की मेजबानी में 6-7 जुलाई को 17वां ब्रिक्स सम्मेलन होने जा रहा है, जिसमें विश्व के प्रमुख विकासशील देशों की भागीदारी होगी। इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे, जो 5 जुलाई की शाम ब्राजील पहुंचेंगे। इस अवसर पर विदेश मंत्रालय ने सोमवार को प्रधानमंत्री की आगामी विदेश यात्रा की जानकारी देने के लिए विशेष ब्रीफिंग आयोजित की। इस दौरान आर्थिक संबंध सचिव दम्मू रवि ने पीएम मोदी की पांच देशों — घाना, त्रिनिदाद-टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया — की यात्रा के बारे में विस्तार से बताया।
पीएम मोदी की बहुमुखी और महत्वाकांक्षी यात्रा
पीएम मोदी 2 जुलाई को विदेश यात्रा के लिए भारत से रवाना होंगे। ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने से पहले वे तीन देशों — घाना, त्रिनिदाद-टोबैगो और अर्जेंटीना — का दौरा करेंगे। यह यात्रा कई दृष्टियों से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इन देशों से भारत के संबंधों को और मजबूती प्रदान करने का प्रयास होगा। यात्रा के दौरान कृषि, वैक्सीन विकास, रक्षा सहयोग, महत्वपूर्ण खनिज और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना जैसे क्षेत्रों पर बातचीत होगी। साथ ही विभिन्न समझौता ज्ञापनों (MOU) पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसके बाद 4-5 जुलाई को अर्जेंटीना और 5 जुलाई को ब्राजील जाकर पीएम मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यात्रा के अंतिम चरण में 9 जुलाई को वे नामीबिया जाएंगे, जहां भारतीय समुदाय से भी बातचीत करेंगे।
ब्रिक्स सम्मेलन और ग्लोबल साउथ के लिए भारत की प्रतिबद्धता
17वें ब्रिक्स सम्मेलन की थीम है ‘ग्लोबल साउथ का सहयोग’। ग्लोबल साउथ से तात्पर्य उन विकासशील और कम विकसित देशों से है जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं। घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देश भी ग्लोबल साउथ के अंतर्गत आते हैं। इन देशों की यात्रा के बाद भारत को इस समूह का महत्वपूर्ण समर्थन मिलेगा, जो वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।
घाना में वैक्सीन हब की स्थापना
पीएम मोदी की घाना यात्रा खास महत्व रखती है। यहां वे राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और घाना की संसद को भी संबोधित करेंगे। घाना में भारत की तरफ से एक वैक्सीन हब स्थापित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य देश के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। यह पहल घाना की आर्थिक स्थिति में सुधार और आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के प्रयासों के मद्देनजर अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, पीएम मोदी लगभग 15,000 भारतीय समुदाय के सदस्यों से संवाद करेंगे, जो वहां बसे हुए हैं।
नामीबिया की पहली आधिकारिक यात्रा
पीएम मोदी 9 जुलाई को नामीबिया की राजकीय यात्रा पर जाएंगे। यह उनकी पहली नामीबिया यात्रा होगी, जो नामीबिया के राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी नदैतवा के निमंत्रण पर हो रही है। इस यात्रा के दौरान वे द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और नामीबिया की संसद को संबोधित भी करेंगे। भारत से वे नामीबिया की यात्रा करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री होंगे। यात्रा के दौरान नामीबिया में यूपीआई (Unified Payments Interface) के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। केंद्रीय बैंक ऑफ नामीबिया और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम की अंतरराष्ट्रीय शाखा एनपीसीआई इंटरनेशनल (NIPL) के बीच इस संबंध में समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम
पीएम मोदी की यह यात्रा भारत के विदेश नीति में नया आयाम जोड़ने वाली है। यह भारत के वैश्विक संबंधों को गहराई और विस्तार प्रदान करेगी। खासकर अफ्रीकी देशों के साथ भारत के सहयोग को मजबूत करने में यह दौरा एक मील का पत्थर साबित होगा। कृषि, स्वास्थ्य, रक्षा, ऊर्जा, और डिजिटल अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा, जो दोनों पक्षों के विकास में सहायक होगा।
ब्रिक्स सम्मेलन का वैश्विक महत्व
ब्रिक्स समूह — ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका — विश्व के प्रमुख विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व करता है। 17वें ब्रिक्स सम्मेलन में “ग्लोबल साउथ का सहयोग” थीम के तहत विकासशील देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत इस मंच के माध्यम से विकासशील देशों के हितों की वकालत करता रहा है और इस बार भी वैश्विक न्याय, सतत विकास, और बहुपक्षवाद को मजबूत करने की दिशा में प्रयास करेगा।
निष्कर्ष:
पीएम मोदी की इस बहु-देशीय यात्रा का उद्देश्य न केवल ब्रिक्स सम्मेलन में प्रभावशाली भागीदारी सुनिश्चित करना है, बल्कि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत के आर्थिक, सामरिक और सामाजिक संबंधों को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। घाना में वैक्सीन हब की स्थापना, नामीबिया में यूपीआई का विस्तार, और अर्जेंटीना तथा त्रिनिदाद-टोबैगो के साथ मजबूत द्विपक्षीय सहयोग भारत की वैश्विक छवि को और प्रबल करेंगे। इस यात्रा के सफल समापन से भारत की भूमिका एक विश्वसनीय, मजबूत और प्रभावशाली विकासशील देश के रूप में और अधिक पुष्ट होगी