मुंबई, 1 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) भारत का गेमिंग बाज़ार दुनिया में सबसे तेज़ी से उभरते बाज़ारों में से एक है। इसी संभावना को भुनाने के लिए लोकप्रिय गेम बैटलग्राउंड्स मोबाइल इंडिया (BGMI) के डेवलपर क्राफ्टन (Krafton) ने एक बड़ा ऐलान किया है। कंपनी भारत में हर साल 50 मिलियन डॉलर (लगभग ₹400 करोड़) का विशाल निवेश करने की योजना बना रही है। इस कदम का उद्देश्य केवल बाज़ार में अपनी पकड़ मज़बूत करना नहीं है, बल्कि भारत को वैश्विक गेमिंग हब के रूप में विकसित करना भी है।
क्राफ्टन के इस कदम को भारत में चीन के ऐप्स पर लगे प्रतिबंधों के बाद खाली हुए स्थान को भरने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। कंपनी अब केवल एक गेमिंग पब्लिशर बनकर नहीं रहना चाहती, बल्कि भारतीय गेमिंग इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनना चाहती है।
निवेश का उद्देश्य और भविष्य की योजनाएं
क्राफ्टन के भारत प्रमुख शॉन ह्यूनिल सोहन के अनुसार, कंपनी भारत में रणनीतिक अधिग्रहण (strategic acquisitions) पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। उनका मानना है कि भारत में उपयोगकर्ताओं की संख्या और युवा आबादी के कारण यहाँ अपार संभावनाएं हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह बाज़ार कीमत-संवेदनशील है और उपयोगकर्ता नए गेम्स को अपनाने में समय लेते हैं, लेकिन एक बार जब वे किसी गेम को पसंद कर लेते हैं, तो उनकी निष्ठा बहुत मज़बूत होती है।
क्राफ्टन ने पहले ही भारतीय डिजिटल सामग्री प्लेटफॉर्मों में लगभग $200 मिलियन का निवेश किया है, जो उसके कुल वैश्विक निवेश का 9% है। हाल ही में, कंपनी ने क्रिकेट गेम डेवलपर नॉटिलस मोबाइल का अधिग्रहण भी किया है, जो रियल क्रिकेट गेम के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, कंपनी ने फिनटेक और सोशल प्लेटफॉर्म में भी निवेश किया है, जो गेमिंग के साथ तालमेल बिठाते हैं।
भारतीय गेमिंग बाज़ार के लिए एक नई सुबह
क्राफ्टन का यह निवेश भारतीय गेमिंग उद्योग के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह न सिर्फ स्थानीय गेम डेवलपर्स को बढ़ावा देगा, बल्कि ई-स्पोर्ट्स और गेमिंग से संबंधित स्टार्टअप्स के लिए भी नए रास्ते खोलेगा। भारत में गेमर्स की संख्या में पिछले साल 12% की वृद्धि हुई है, जो अब 444 मिलियन तक पहुंच गई है। इन गेमर्स में से लगभग एक तिहाई अब गेम्स पर पैसे भी खर्च कर रहे हैं, जो बाज़ार के परिपक्व होने का संकेत है।
क्राफ्टन की योजना सिर्फ गेम लॉन्च करने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह भारत में एक अनुसंधान और विकास (R&D) इकाई भी स्थापित करने पर विचार कर रही है। इससे स्थानीय प्रतिभाओं को विश्वस्तरीय गेम बनाने का मौका मिलेगा। यह कदम भारतीय युवाओं के लिए गेमिंग में करियर के नए अवसर भी पैदा करेगा।
क्राफ्टन की यह बड़ी पहल दर्शाती है कि विदेशी कंपनियां भारत को सिर्फ एक उपभोक्ता बाज़ार के रूप में नहीं, बल्कि एक निर्माण और नवाचार केंद्र के रूप में देख रही हैं। यह भारतीय गेमिंग इकोसिस्टम के लिए एक आशाजनक भविष्य का संकेत है।