BCCI के कड़े निर्देशों के बाद कई सालों के अंतराल पर विराट कोहली और रोहित शर्मा विजय हजारे ट्रॉफी खेलने उतरे। विराट करीब 16 साल बाद दिल्ली की जर्सी में दिखे, वहीं रोहित ने 9 साल बाद मुंबई की कमान संभाली। दोनों ने ही अपनी फॉर्म और क्लास का परिचय देते हुए शानदार शतक जड़े, लेकिन विडंबना यह रही कि करोड़ों फैंस इन ऐतिहासिक पारियों को अपनी आंखों से लाइव नहीं देख सके।
1. सोशल मीडिया पर फूटा फैंस का गुस्सा
जैसे ही स्कोरबोर्ड पर विराट और रोहित के शतकों की खबर आई, 'X' (पूर्व में ट्विटर) और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बीसीसीआई और ब्रॉडकास्टर्स के खिलाफ शिकायतों की बाढ़ आ गई। फैंस का तर्क था कि जब दुनिया के दो सबसे बड़े क्रिकेटर घरेलू टूर्नामेंट खेल रहे हैं, तो उनका प्रसारण न करना क्रिकेट प्रेमियों के साथ अन्याय है। कई फैंस ने मांग की कि कम से कम इन मैचों के लिए 'स्ट्रीमिंग' का इंतजाम अलग से किया जाना चाहिए था।
2. ब्रॉडकास्टर का जवाब: अगले मैच में भी मायूसी?
फैंस को उम्मीद थी कि पहले मैच के विवाद के बाद जियो-स्टार स्पोर्ट्स अपनी रणनीति बदलेगा। लेकिन स्टार स्पोर्ट्स ने सोशल मीडिया पर जो जानकारी दी, उसने आग में घी डालने का काम किया।
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26 दिसंबर का शेड्यूल: स्टार स्पोर्ट्स ने स्पष्ट किया कि शुक्रवार को केवल झारखंड बनाम राजस्थान और असम बनाम जम्मू-कश्मीर के मैचों का ही लाइव प्रसारण किया जाएगा।
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इसका सीधा मतलब यह है कि विराट कोहली (दिल्ली बनाम गुजरात) और रोहित शर्मा (मुंबई बनाम उत्तराखंड) के अगले मुकाबले भी टीवी या हॉटस्टार पर उपलब्ध नहीं होंगे।
3. 'नो एंट्री' और 'नो स्ट्रीमिंग': दिल्ली के फैंस की दोहरी मार
रोहित शर्मा के मामले में मुंबई के फैंस फिर भी भाग्यशाली रहे कि वे स्टेडियम जाकर 'हिटमैन' को देख सके। लेकिन दिल्ली और विराट कोहली के फैंस के लिए स्थिति और भी बदतर है।
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बेंगलुरु का नियम: दिल्ली के मैच बेंगलुरु के 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' में हो रहे हैं, जहाँ बीसीसीआई ने सुरक्षा कारणों से दर्शकों के प्रवेश पर प्रतिबंध (Ban) लगा रखा है।
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ऐसे में दिल्ली के फैंस न तो टीवी पर विराट को देख सकते हैं और न ही स्टेडियम जाकर। उन्हें केवल 'स्कोर अपडेट्स' पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है।
4. क्या बीसीसीआई करेगा बदलाव?
विजय हजारे ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स पहले से ही तय होते हैं और चुनिंदा मैचों के लिए ही 'क्रू' और कैमरे भेजे जाते हैं। हालांकि, विराट और रोहित जैसे बड़े नामों की मौजूदगी ने इस टूर्नामेंट की 'व्यूअरशिप वैल्यू' को रातों-रात कई गुना बढ़ा दिया है। अब सवाल यह है कि क्या बीसीसीआई और ब्रॉडकास्टर व्यावसायिक लाभ और फैंस की भावनाओं को देखते हुए अंतिम समय में कोई विशेष व्यवस्था करेंगे?
निष्कर्ष
विराट और रोहित ने घरेलू क्रिकेट खेलकर युवाओं को प्रेरित करने का काम तो बखूबी किया है, लेकिन तकनीक और डिजिटल क्रांति के इस दौर में इन पारियों का लाइव न होना भारतीय क्रिकेट की ब्रॉडकास्टिंग नीति पर सवाल खड़े करता है। क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह 'White Christmas' तो रहा, लेकिन वह उसकी सुनहरी यादों को केवल रिकॉर्ड बुक्स में ही पढ़ सकेंगे।