टीम इंडिया जब अपने घर में खेलती है, तो दर्शकों का उत्साह चरम पर होता है, लेकिन कई बार यह उत्साह बेकाबू होकर शर्मनाक घटनाओं में बदल जाता है. भारत और साउथ अफ्रीका के बीच टी-20 सीरीज का पहला मैच जिस कटक के बाराबती स्टेडियम में होने जा रहा है, वह मैदान एक बार भीड़ की शर्मनाक हरकत का गवाह रहा है.
10 साल पहले का शर्मनाक वाक्या
यह घटना 5 अक्टूबर 2015 की है, जब इसी मैदान पर टीम इंडिया और प्रोटियाज (साउथ अफ्रीका) के बीच टी-20 इंटरनेशनल मैच खेला गया था. उस दिन बाराबती स्टेडियम में मौजूद दर्शकों का गुस्सा इस कदर बेकाबू हो गया था कि इसे राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (State Association) कभी याद नहीं करना चाहता. हालांकि, क्रिकेट फैंस के जेहन में वो शर्मनाक इंसिडेंट अक्सर वापस आ जाता है.
भीड़ ने की बोतलों की बौछार
2015 में यह तीन मैचों की टी-20 सीरीज थी, जो धर्मशाला में एमएस धोनी की टीम की हार के साथ शुरू हुई थी. बाराबती स्टेडियम में टीम इंडिया वापसी की उम्मीद के साथ उतरी थी, लेकिन भारतीय टीम का मिडिल ऑर्डर बुरी तरह ढह गया. पहले बल्लेबाजी करते हुए, भारत ने अगले 60 गेंदों में सिर्फ 43 रन जोड़े और $2$ विकेट से $92$ रन पर ऑल आउट हो गया, जिससे जवाबी हमले की उम्मीदें खत्म हो गईं.
कम स्कोर के कारण बेकाबू कटक के दर्शक बेसब्र हो गए, और उन्होंने मेन इन ब्लू (Men in Blue) के खिलाफ अपनी नाराजगी दिखाने के लिए खेल की दूसरी पारी में मैदान पर प्लास्टिक की बोतलें फेंकना शुरू कर दिया.
दो बार रुका था मैच
भारतीय टीम पहले बैटिंग करते हुए $17.2$ ओवर में महज $92$ रनों पर सिमट गई थी. लेकिन साउथ अफ्रीका के लिए इस आसान टारगेट को चेज करने के दौरान दो बार रुकावट आई.
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पहली रुकावट: यह $19$ मिनट तक चली, तब हुई जब साउथ अफ्रीका का स्कोर $11$ ओवर के बाद $64$ रन पर $3$ विकेट था. मैदान पर लगातार बोतलें फेंकी जा रही थीं, जिससे खिलाड़ियों की सुरक्षा खतरे में थी.
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दूसरी रुकावट: हालांकि खेल फिर से शुरू हुआ, लेकिन सिर्फ $2$ ओवर बाद इसे फिर से रोक दिया गया. अबकी बार, अंपायर सीके नंदन और सी शमशुद्दीन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए खिलाड़ियों को मैदान से हटाने का फैसला किया.
मैच में बार-बार रुकावट आने के बावजूद, साउथ अफ्रीका ने अंततः $17.1$ ओवर में $6$ विकेट से यह मैच जीत लिया और सीरीज पर कब्जा कर लिया था. यह घटना भारतीय क्रिकेट इतिहास के उन काले पन्नों में से एक है, जब भीड़ का व्यवहार खेल भावना के बिल्कुल विपरीत था. इस घटना के बाद स्टेडियम की सुरक्षा व्यवस्था और दर्शकों के व्यवहार पर गंभीर सवाल उठे थे.