अंडर-19 एशिया कप 2025 का फाइनल मुकाबला क्रिकेट प्रशंसकों के लिए भावनाओं से भरा रहा। जहां एक ओर मैदान पर पाकिस्तान ने एकतरफा खेल दिखाते हुए खिताबी जीत हासिल की, वहीं दूसरी ओर मैदान के बाहर एक 14 साल के भारतीय खिलाड़ी के व्यवहार ने सुर्खियां बटोरीं। बिहार से ताल्लुक रखने वाले युवा सनसनी वैभव सूर्यवंशी ने अपनी समझदारी और संयम से यह साबित कर दिया कि खेल केवल हार-जीत के बारे में नहीं, बल्कि मर्यादा के बारे में भी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ 'संयम' का वीडियो
फाइनल मैच के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो जंगल की आग की तरह फैल गया। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि मैच खत्म होने के बाद कुछ पाकिस्तानी प्रशंसक वैभव सूर्यवंशी को करीब से चिढ़ाने और उकसाने की कोशिश कर रहे थे। प्रशंसक उनकी ओर विवादित इशारे कर रहे थे, लेकिन मात्र 14 साल की उम्र में वैभव ने जो धैर्य दिखाया, वह काबिले तारीफ था।
वैभव ने उन प्रशंसकों को न तो पलटकर कोई जवाब दिया और न ही किसी भी प्रकार की बहस में उलझे। वह पूरी गरिमा के साथ अपना बैग उठाकर वहां से चले गए। खेल की दुनिया में इतनी कम उम्र में इस तरह का मानसिक नियंत्रण और 'कूल' रवैया बहुत कम देखने को मिलता है। फैंस वैभव की इस मैच्योरिटी की तुलना बड़े अंतरराष्ट्रीय सितारों से कर रहे हैं।
मैदान पर दिखा 'अली रजा बनाम वैभव' का तनाव
मैच के दौरान भी वैभव और पाकिस्तान के तेज गेंदबाज अली रजा के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी। जब अली रजा ने वैभव को आउट किया, तो उन्होंने बेहद आक्रामक अंदाज में जश्न मनाया और कुछ अपशब्द कहे। इस पर वैभव ने भी पल भर के लिए प्रतिक्रिया देते हुए अपने जूते की ओर इशारा किया था। हालांकि, यह तनाव मैदान तक ही सीमित रहा और अंपायरों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया। मैदान पर दिखने वाली वह आक्रामकता और मैदान के बाहर का वह संयम, दोनों ही वैभव के व्यक्तित्व के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाता है।
फाइनल मैच का लेखा-जोखा: समीर मिन्हास का तूफान
अगर खेल की बात करें, तो भारतीय कप्तान आयुष म्हात्रे ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया, जो बाद में गलत साबित हुआ। पाकिस्तान के ओपनर समीर मिन्हास ने भारतीय गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते हुए मात्र 113 गेंदों में 172 रनों की आतिशी पारी खेली। उनकी इस पारी की मदद से पाकिस्तान ने 50 ओवरों में 8 विकेट खोकर 347 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। भारत की ओर से दीपेश दीवेंद्रन ने 3 विकेट जरूर झटके, लेकिन तब तक पाकिस्तान पहाड़ जैसा स्कोर बना चुका था।
लक्ष्य के बोझ तले दबी भारतीय टीम
348 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम शुरुआत से ही दबाव में दिखी। पाकिस्तान के गेंदबाजों ने सटीक लाइन और लेंथ से भारतीय बल्लेबाजी क्रम को तहस-नहस कर दिया। भारत की पूरी टीम महज 26.2 ओवर में 156 रनों पर सिमट गई। भारत की ओर से दीपेश दीवेंद्रन ने सर्वाधिक 36 रन बनाए, जबकि वैभव सूर्यवंशी 26 रन बनाकर आउट हुए। अली रजा ने 4 विकेट लेकर भारत की कमर तोड़ दी और पाकिस्तान को चैंपियन बना दिया।
निष्कर्ष
भले ही भारतीय टीम ट्रॉफी नहीं जीत सकी, लेकिन वैभव सूर्यवंशी जैसे युवाओं ने यह दिखा दिया कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। 14 साल की उम्र में दबाव और उकसावे को जिस तरह उन्होंने संभाला, वह भविष्य में उन्हें एक बड़ा खिलाड़ी बनाने में मदद करेगा। हार एक सबक है, लेकिन चरित्र निर्माण ही असली जीत है।