मुंबई, 23 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान में बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी समाप्त किए जाने के बाद कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा मीणा की तीन साल की सजा को बरकरार रखने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता खत्म करने में जानबूझकर देरी की, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था की गरिमा के खिलाफ है। टीकाराम जूली ने कहा कि जब कंवरलाल मीणा को कोर्ट से तीन साल की सजा मिल चुकी थी, तब भी उनकी सदस्यता को समाप्त करने के बजाय उन्हें बचाने के रास्ते तलाशे जा रहे थे। जूली ने दावा किया कि कांग्रेस विधायक दल ने इस मुद्दे को लेकर तीन बार विधानसभा अध्यक्ष और एक बार राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। बाद में निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई और अंततः न्याय के लिए कोर्ट का रुख करना पड़ा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह केवल कानूनी प्रक्रिया का मामला नहीं था, बल्कि यह विधानसभा की गरिमा बनाए रखने की जिम्मेदारी भी थी, जिसे नजरअंदाज किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब कंवरलाल मीणा विधायक पद पर रहते हुए जेल गए, तब विधानसभा की गरिमा धूमिल हुई। इस मामले में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि आखिरकार कांग्रेस पार्टी के दबाव और सुप्रीम कोर्ट में 'कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट' की अर्जी के बाद विधानसभा अध्यक्ष को बीजेपी के सजायाफ्ता विधायक की सदस्यता रद्द करनी पड़ी। डोटासरा ने कहा कि लोकतंत्र में संविधान सर्वोपरि है और कांग्रेस पार्टी बार-बार बीजेपी और आरएसएस को यही बात याद दिलाती रहेगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद विधायक की सदस्यता तुरंत खत्म की जानी चाहिए थी, लेकिन 23 दिन तक देरी कर के विधानसभा अध्यक्ष ने पक्षपातपूर्ण रवैया दिखाया और कानून के स्पष्ट निर्देशों की अवहेलना की। डोटासरा ने दावा किया कि एक अभियुक्त को बचाने के लिए नियमों की अनदेखी की गई, लेकिन अंत में सत्य की जीत हुई और संविधान के अनुसार कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि देश में दो कानून नहीं हो सकते और कांग्रेस पार्टी यह सुनिश्चित करती रहेगी कि सभी को एक ही संविधान के तहत न्याय मिले।