भारत और रूस के बीच रणनीतिक संबंधों को नया आयाम देने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर माह में भारत की राजकीय यात्रा पर आने वाले हैं। यह दौरा दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि पुतिन 5 दिसंबर को भारत पहुंचेंगे और इस दौरान वे रोसकांग्रेस द्वारा आयोजित रूस-भारत फोरम के पूर्ण सत्र में भी भाग लेंगे। इस यात्रा को लेकर क्रेमलिन ने भी औपचारिक पुष्टि कर दी है।
यह दौरा कई मायनों में खास है क्योंकि दिसंबर 2021 के बाद यह पुतिन का भारत का पहला आधिकारिक दौरा होगा। 2021 की यात्रा के दौरान भी रक्षा और ऊर्जा सहयोग पर कई अहम समझौते हुए थे। अब लगभग चार साल बाद हो रही यह यात्रा वैश्विक परिस्थितियों और भारत-रूस के बढ़ते सहयोग के बीच बेहद अहम मानी जा रही है।
रूस-भारत फोरम में भाग लेने के अलावा, पुतिन दिल्ली में भारतीय अधिकारियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी, और व्यापारिक संबंधों पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार, इस दौरे के दौरान एयर डिफेंस सिस्टम S-400 और फाइटर जेट सुखोई Su-57 की खरीद को लेकर भी अहम बातचीत हो सकती है।
भारतीय वायुसेना (IAF) लंबे समय से अपने बेड़े में अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है। ऐसे में रूस से Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट की खरीद भारत की रक्षा क्षमता को नई मजबूती दे सकती है। बताया जा रहा है कि भारत के पास पहले से ही एचएएल (HAL) में इन विमानों के निर्माण से संबंधित बुनियादी ढांचा मौजूद है। रूस भी भारत के साथ Su-57 की तकनीक और सोर्स कोड साझा करने के लिए तैयार है, जिससे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
इसके साथ ही, भारत रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त इकाइयों की खरीद पर भी विचार कर रहा है। यह वही रक्षा प्रणाली है जिसने पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में भारत की क्षमता को बढ़ाया है। S-400 को दुनिया की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है।
पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका लगातार भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीद को कम करने के लिए दबाव बना रहा है। लेकिन भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों और ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए रूस के साथ संबंधों को बनाए रखा है। इसलिए इस यात्रा पर वॉशिंगटन की नजरें भी टिकी रहेंगी।
इससे पहले अक्टूबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें दोनों नेताओं ने भारत-रूस संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने पर सहमति जताई थी। कुल मिलाकर, पुतिन की आगामी भारत यात्रा केवल एक औपचारिक राजकीय दौरा नहीं, बल्कि यह दोनों देशों के बीच दशकों पुराने विश्वास और सहयोग को नई दिशा देने वाली ऐतिहासिक मुलाकात साबित हो सकती है। रक्षा, ऊर्जा और रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में यह यात्रा भारत-रूस संबंधों के लिए एक नया अध्याय खोलेगी।