घर खरीदने का सपना देख रहे लोगों और मौजूदा कर्जदारों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) का हालिया फैसला एक बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। RBI ने अपनी नीतिगत दर, रेपो रेट में 25 आधार अंकों (basis points) की कटौती की है, जिसके बाद यह घटकर 5.25% पर आ गया है। इस कदम से होम लोन की ब्याज दरें ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ सकती हैं, जिससे आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला EMI का बोझ काफी हद तक हल्का हो जाएगा।
ब्याज दरें और EMI पर सीधा असर
रेपो रेट में कटौती का सीधा और सकारात्मक असर खुदरा ऋणों (Retail Loans) की ब्याज दरों पर पड़ता है, खासकर होम लोन पर। वर्तमान में, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक जैसे कई बड़े बैंक 7.35% की दर पर होम लोन दे रहे हैं। बाजार जानकारों का अनुमान है कि रेपो रेट में कटौती के बाद ये दरें गिरकर 7.1% तक आ सकती हैं।
यह छोटी सी 0.25% की कटौती आपके लिए बड़ी वित्तीय बचत ला सकती है।
| ऋण विवरण |
कटौती से पहले की दर (7.35%) |
कटौती के बाद अनुमानित दर (7.10%) |
मासिक बचत |
| लोन राशि |
₹1 करोड़ |
₹1 करोड़ |
- |
| अवधि |
15 साल |
15 साल |
- |
| अनुमानित EMI |
₹92,036 |
₹90,596 |
लगभग ₹1,440 |
यदि आपने 15 साल के लिए ₹1 करोड़ का होम लोन लिया है, तो 0.25% की कटौती से आपकी मासिक ईएमआई में लगभग ₹1,440 रुपये की सीधी बचत होगी। साल भर में यह बचत एक बड़ी रकम बन जाती है, जो मध्यम वर्गीय परिवार के लिए महत्वपूर्ण राहत प्रदान करती है।
बैंकों के सामने की चुनौती
हालांकि, 7.1% की ब्याज दर का लाभ नए ग्राहकों को देने के लिए बैंकों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करना होगा। बैंकर्स का कहना है कि इतनी कम दर पर लोन देने के लिए उन्हें अपनी जमा दरों (Deposit Rates) में भी भारी कटौती करनी पड़ेगी। जब तक डिपॉजिट रेट कम नहीं होते, बैंकों के मुनाफे (Net Interest Margins) पर दबाव देखने को मिल सकता है।
यदि बैंक बेंचमार्क रेट (जैसे MCLR या रेपो-लिंक्ड लेंडिंग रेट) के ऊपर अपने स्प्रेड (Spread) को संशोधित करते हैं, तो ब्याज दर कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुँचने में थोड़ी देरी हो सकती है।
NBFCs और MSME को तत्काल लाभ
जहाँ बैंकों को अपनी ब्याज दरें समायोजित करने में थोड़ा समय लग सकता है, वहीं नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) को इस नीति का फायदा तुरंत मिलेगा। श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष उमेश रेवणकर ने कहा कि यह नीति विशेष रूप से ‘लास्ट-माइल फाइनेंसर’ यानी दूर-दराज के इलाकों में काम करने वाली वित्तीय कंपनियों के लिए बहुत मददगार है।
इसके अलावा, RBI द्वारा तरलता (Liquidity) बनाए रखने के लिए ₹1 लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद (OMO) की घोषणा से बाज़ार में नकदी का प्रवाह बना रहेगा। इसका सीधा फायदा छोटे ट्रक मालिकों, ग्रामीण उद्यमियों और MSME सेक्टर के उन लोगों को मिलेगा, जो भारत की 8.2% विकास दर (GDP Growth) के असली इंजन हैं। ब्याज दरें कम होने से जमीनी स्तर पर काम करने वाले इन छोटे व्यापारियों को सस्ता कर्ज मिल सकेगा, जिससे देश की आर्थिक गतिविधियाँ और तेज़ होंगी।